Thursday, 4 May 2017

चिरैया

ये वही  नन्ही सी गुड़िया है,  जिसने हमेशा खुशिया  ही बाटी है ,

ये वही चिरैया है , जो कभी अपना घर तो कभी अपनों को छोड़कर आयी है। 

ये तो वो कली है , जो कभी खिलने से पहले हे तोड़  जाती है,

ये तो इतनी भली है , की जो जानकार भी हर दर्द सह जाती है। 

कहते तो है, कि  इसके होने से ही घर में लक्ष्मी आती है ,

फिर भी ये, दुनिया में आने से पहले ही गर्भ में मार दी जाती है। 

जन्म ले भी ले, तो दुनिया इसे  बड़ा सताती है ,

 इसके तो कपड़ो से भी इसके चरित्र की तुलना की जाती है। 

ये तो वो रौशनी है, जो अंधेरो को उजालो से भर देती है ,

फिर भी ,कभी प्रताड़ित, तो कभी आग में झोक दी जाती हैं। 

ये तो वो है ,जो आज चाँद तक भी जाती है , तो ये वो भी है, जो घर आँगन सजाती है। 

कभी गौरव पूर्ण कहानी तो कभी  मिसाल बन् जाती है,   

पराक्रमी है ,ये तो  तूफानों से भी लड़ जाती है।  

इसका अपमान करने वाला सदैव आग में हे जला है ,

ये कभी दुर्गा तो कभी काली बन जाती है। 

भूल के भी, कभी इसका निरादर न करो ,

क्योंकि ये वही है, जो हमें ये सुंदर संसार दिखती है। 






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