पैदा हुआ मैं चिराग बन , परिवार का वारिस बना ।
मेरी किलकारियां सुन सभी ने,कई सपनो को बुना।
जवां हुआ तो माँ बाप के सहारे की उम्मीद बना ,
उम्मीद तोड़कर उनकी ,मैंने भारत की सरहद को चुना।
नम्म आँखों से वो भी बोले करनी है रक्षा अब उसकी ,
माँ है वो तेरी ,खेला है तू गोद में जिसकी।
गोली ,बारूद, बेकसूरों के लहू से जो कराह रही है,
वो धरती माँ आज अपने जवानों को बुला रही है।
आज मैं सरहद पर खड़ा हूँ ,न जाने ,कब कहाँ कितने युद्ध में लड़ा हूँ ।
न दूंगा उसका अंश , ढाल बन मैं खड़ा हूँ।
कल भी लड़ा था आज भी अडिग हूँ ,अपनी भारत माँ का मैं वो वर पुत्र हूँ।
सबूत मांगता आब मुल्क है ,मुझसे ,उस वीरता के युद्ध का।
सुकून ,उसका परिणाम हैं ,वो जानकार भी अनजान है।
वीरगति मिल जाये ऐसे रक्षा का प्रण लेते हैं,
खुद को समर्पित कर,अपनी इच्छाओ की आहुति हम देते हैं।
न दीवाली, न होली, न कोई त्यौहार है ,खुशहाल भारत ही मेरी माँ का हार है।
बर्फीली हवा,कड़कती धूप का भी ,अब कोई असर न होता हैं मुझमे,
आखिरी सांस तक भी दुश्मनो से यही बोलती है ,आ अगर दम है तुझमे।
मैं रातो को भी जागता हूँ , ताकि मेरा भारत सो सके,
मैं बम गोलियों का भी करता सामना हूँ ,ताकि मेरा भारत खुशियों किलकारियों से गूँज सके।
हर क्षण ,मेरी लहूलुहान वर्दी मुझे गर्व से यही बोलती है ,
तूने सदैव ही खुद को साबित किया है,धरती माँ भी ख़ुशी से डोलती है।
तू वीर तू जवान है , तू हम सबके लिए मिसाल है।
तुझसे सबूत मांगने वाला ,मंदबुद्धि इंसान है।
तूने जीने जितना काबिल रखा ,जानते है सब, फिर भी अनजान है।
तू मरकर भी अमर है ,तू फ़ौजी तू शहीद है।
तू देश का, वो पुत्र है , जिसका कुटुंब पूरा देश है।
तू हर अबला का वो भाई है , तू रक्षक तू सिपाही है ,
तू निस्वार्थ है तू साहसी है , तू इस देश का ही एक वासी है।
तू मरते दम तक, भारत माँ की जय दोहराता है ,
तेरे पार्थिव शरीर पर भी ,विजय तिरंगा लहराता है।
तू शौर्य तू पराक्रम है ,तू योद्धां तू विक्रम है।
तूने भारत को सदैव दिया अमन है,
भारत के सभी वीरो को मेरा शत-शत नमन है।
ज्योत्स्ना
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