जब अनजान थे तब ही खुश थे , जब जान लिया तो वजह ढूंढने पर मज़बूर हो गए।
जब न था पता की खुश होने की कोई वजह भी होती है ,
जब जान गए तो अब हर ख़ुशी की वजह ही होती है।
वो बचपन ही शायद अच्छा था , वो किताबो और पढाई का बोझ ही अच्छा था,
आज वजह ढूंढकर लोग अपनाते है ,तब तो अपना हर दोस्त सच्चा था।
तब तो रोते रोते भी हँस देते थे ,आज तो गीली आँखों में ही सो जाते है ,
तब कभी बड़े अरमाँ नही होते थे ,आज अपनी ज़िन्दगी में ही सब खो जाते है।
तब अपनी छोटी सी दुनिया में ही खुश रहते थे , कभी चोट या ठोकर भी खाते तो हँस देते थे ,
आज खुद को तलाशते है, इतने बड़े जहां में, ठोकरे खाते है तब भी किसी का सहारा आता है न ध्यान में।
तब माँ बाप के साये मैं महफूज़ थे ,तब लाड प्यार डाठ को ही , ज़िन्दगी समझते थे ,
आज ज़िन्दगी में अकेले है खड़े ,तो सोचते है वो दिन कितने अच्छे थे।
जब जानते न थे तो हम भी बहुत सच्चे थे।
जब न था पता तब हम बच्चे थे।
जब जानते न थे तो ख़ुशी दिल से होती थी ,आज बस दिखावा है
दिलो में दर्द ,और चेहरे में एक ख़ुशी का छलावा है।
जब न था पता की खुश होने की कोई वजह भी होती है ,
जब जान गए तो अब हर ख़ुशी की वजह ही होती है।
वो बचपन ही शायद अच्छा था , वो किताबो और पढाई का बोझ ही अच्छा था,
आज वजह ढूंढकर लोग अपनाते है ,तब तो अपना हर दोस्त सच्चा था।
तब तो रोते रोते भी हँस देते थे ,आज तो गीली आँखों में ही सो जाते है ,
तब कभी बड़े अरमाँ नही होते थे ,आज अपनी ज़िन्दगी में ही सब खो जाते है।
तब अपनी छोटी सी दुनिया में ही खुश रहते थे , कभी चोट या ठोकर भी खाते तो हँस देते थे ,
आज खुद को तलाशते है, इतने बड़े जहां में, ठोकरे खाते है तब भी किसी का सहारा आता है न ध्यान में।
तब माँ बाप के साये मैं महफूज़ थे ,तब लाड प्यार डाठ को ही , ज़िन्दगी समझते थे ,
आज ज़िन्दगी में अकेले है खड़े ,तो सोचते है वो दिन कितने अच्छे थे।
जब जानते न थे तो हम भी बहुत सच्चे थे।
जब न था पता तब हम बच्चे थे।
जब जानते न थे तो ख़ुशी दिल से होती थी ,आज बस दिखावा है
दिलो में दर्द ,और चेहरे में एक ख़ुशी का छलावा है।
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