अब वक़्त है वो आ चला , जब तिरंगा विश्व में लहराएगा।
अपने अनोखे तेज से ,वो हर क्षढ जगमगायेगा।
स्वर्ण पदक नयोछारता वो वीर अब दोहराएगा , भारत माता की जय ,
नारा अब हर कोई लगाएगा।
वो डट गए है मैदान पर ,अब वीरता के दाव पर।
अब जीत की ललकार है , वो जीत कर ही आएगा।
कोई स्वर्ण ,कोई चाँदी, कोई कास्य पदक लाएगा।
पर हौसला फिर आने का न उनका डगमगाएगा।
भारत की शान बनकर तू विश्व में अब जायेगा ,
वो मैदान नहीं रढ़ भूमि है ,तू वीर अब कहलायेगा।
किसी के घर की बेटी अब भारत की बेटी कहलाएगी ,
कभी साड़ियों को लहराती घर में , अब तिरंगा विश्व में फहराएगी।
कल गुड़ियों से खेलने वाली ,अब विख्यात ऱढ़भूमि में खेल जाएगी।
सोने ,चाँदी के पदक से ,भारत माँ को अब सजायेगी।
शान से जब अपनी जन्म भूमि में वो लौट आएंगे ,
सभी देशवासी मिलकर उन्हें गर्व का तिलक लगाएंगे।
भारत माता की जय भारत माता की जय हम सब साथ नारा ये लगाएंगे,
हर एक वीर की वीरता की गाथाये हम दोहराएंगे।
: ज्योत्स्ना सुयाल
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