पथ कठोर है ,पथ का अनन्त कोई छोर है !
ना हार कर तू बैठ जा , ले प्रतिज्ञा अब हो खड़ा ।
विश्वास होगा जब अटल ,मुश्किलें भी तब जाएँगी टल ।
तू ठोकरे भी खायेगा ,खुद को अकेला भी पाएगा ।
पर मत हारना न छोड़ना ,वो प्रतिज्ञा तेरी मत तोड़ना ।
तू कर गुज़र जायेगा जब,हर प्रयत्न याद आएगा तब ।
मत भूलना,अस्तित्व को, निखारना व्यक्तित्व को ।
अभिमान करता है पतन सदियों से दोहराता है ।
न डगमगाना अंत तक ,जायेगा तू अनन्त तक ।
बस ठान ले कर हौसला प्रण है मेरा प्रण है मेरा ........
ज्योत्स्ना सुयाल
ना हार कर तू बैठ जा , ले प्रतिज्ञा अब हो खड़ा ।
विश्वास होगा जब अटल ,मुश्किलें भी तब जाएँगी टल ।
तू ठोकरे भी खायेगा ,खुद को अकेला भी पाएगा ।
पर मत हारना न छोड़ना ,वो प्रतिज्ञा तेरी मत तोड़ना ।
तू कर गुज़र जायेगा जब,हर प्रयत्न याद आएगा तब ।
मत भूलना,अस्तित्व को, निखारना व्यक्तित्व को ।
अभिमान करता है पतन सदियों से दोहराता है ।
न डगमगाना अंत तक ,जायेगा तू अनन्त तक ।
बस ठान ले कर हौसला प्रण है मेरा प्रण है मेरा ........
ज्योत्स्ना सुयाल
No comments:
Post a Comment