प्रबल शक्ति से झनझोर है मन की अलौकिक कल्पना ,
प्राण त्याग मत निश्चय मिलेगा लक्ष्य तुझे तेरा कभी !
कर्त्तव्य से मुख मोढ़ ना ,
तूफ़ान का रूख मोड़ना !
प्रण त्याग मत निश्चय मिलेगा लक्ष्य ततुझे तेरा कभी !
पत्थर मिलेंगे रास्तो मे तुझको डराने लिए ,
मत हारना कर सामना वो लक्ष्य पाने के लिए!
प्रण त्याग मत निश्चय मिलेगा लक्ष्य तुझे तेरा कभी !
कितनी जटिल कठिनाइयों को पार कर जायेगा तू ,
मुश्किलो को वार कर स्वनिर्मित अस्तित्व पायेगा !
प्रण त्याग मत निश्चय मिलेगा लक्ष्य ततुझे तेरा कभी !
वो कश्तियाँ भी क्या जो टूट जाए हार कर ,
जीत लेना ये जंग तू प्राण को भी वार कर !
प्रण त्याग मत निश्चय मिलेगा लक्ष्य तुझे तेरा कभी !
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